अलवर के पास अरावली पर्वतमाला की तलहटी में एक गाँव था। एक बार की बात है, अलवर के इस गाँव के एक घर में आग लग गयी। उस गाँव के सब लोग मिलकर आग को बुझाने लगे। जिसने भी सुना वह आग बुझाने में सहयोग देने लगा। लोग अपने मटके, बाल्टियाँ और लोटों में पानी भरकर आग पर डालने लगे।
उस गाँव में एक पीपल का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कोयल और एक कौवा बैठे थे। दोनों ने देखा गाँव के सभी लोग आग बुझा रहे हैं। कोयल ने सोचा मेरा भी कुछ कर्तव्य है । मैं भी इस गाँव में रहती हूँ। यहाँ का पानी पीती हूँ। यहाँ का अन्न खाती हूँ। मेरा भी कोई फर्ज बनता है कि मैं अपने गाँव के काम आऊँ।
बस फिर क्या था। कोयल उड़कर पास के तालाब में गयी, उसने पानी में डुबकी लगाई अपनी चोंच में पानी लिया और उस घर पर डालने लगी, जिसमें आग लगी थी।
वह बार-बार इस प्रक्रिया को दोहराने लगी। चोंच में पानी भरकर लाती और उस घर पर डालती। कोयल के साथ में जो कौवा बैठा था, वह यह सब देख रहा था। उसे बहुत आश्चर्य हुआ और उससे रहा नहीं गया। उसने कोयल से कहा ‘ए कोयल बहन, तेरे इस छोटी-सी चोंच में पानी लाने से क्या यह आग बुझ जाएगी?’ तब कोयल ने जवाब दिया, ‘भाई आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। मेरे चोंच में पानी लाने से ये आग नहीं बुझेगी। मेरा सामर्थ्य नहीं है कि मैं इस आग को बुझा सकूँ। लेकिन मैं मानती हूँ, जब कभी भी इस गाँव का इतिहास लिखा जाएगा, उस इतिहास में मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं आग बुझाने वालों में लिखा जाएगा।’
इस कहानी से यही प्रेरणा मिलती है कि सब मिलकर कैसे काम करें। कोई अकेले काम नहीं कर सकता। पानी और जंगल का काम समाज के साथ मिलकर ही होता है । यह महत्व नहीं रखता किसका योगदान कितना है, फिर चाहे कोई बाल्टी भरकर पानी लाए या चोंच में भरकर।
(‘तरुण भारत संघ’ के सुरेश रैकवार द्वारा सुनाई कथा पर आधािरत, अलवर (राजस्थान)
Glossary/शबदावली: | Grammar/व्याकरण: |
|
Past tense to express activities repeated in the past (iterative):
Perfect tense to express activities that happened once (perfect: Subject + ने ):
Oblique infinitive + लगना to express the beginning of the action:
Subjunctive to express ‘in order to’ or ‘should’:
Passive voice: past participle of transitive verbs + जाना (इतिहास लिखा जाएगा) |