नैनीताल सैलानियों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। हर वर्ष अनेक लोग वहाँ आते हैं।
नैनीताल में एक बड़ी झील स्थित है, इस झील का नाम ‘नैनीझील’ है। इसी के नाम पर इस शहर का नाम नैनीताल पड़ा। नैनीताल नाम से जुड़ी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार स्कंदपुराण के मानसखंड में ‘नैनीताल’ का वर्णन ‘त्रिऋषि’ सरोवर के नाम से किया गया है।
एक बार की बात है। अत्रि, पुलस्क, तथा पुलक तीन ऋषि तपस्या करने के लिए हिमालय की ओर जा रहे थे। मार्ग में उन्हें एक स्थान मिला। वे उस स्थान के प्राकृतिक सौंदर्य पर मुग्ध हो गए । उन्होनें वहीं पर तपस्या करने का विचार बनाया परंतु वहाँ पानी का अभाव था। कुछ समय बाद उन्हें प्यास लगी। अब वे क्या करते? वे अपने तप के बल पर, तिब्बत में स्थित पवित्र ‘मानसरोवर झील’ के जल को वहाँ ले आए। उसी जल से एक ताल बना। जो बाद में ‘नैनीताल’ के नाम से प्रचलित हुआ। ऐसा कहा जाता है इन तीन ऋषियों के प्रयास से ही ‘नैनीताल’ का निर्माण हुआ। इस शहर का नाम नैनीताल पड़ा।
कुछ इतिहासकार इस ताल को त्रिऋषि सरोवर के नाम से भी पुकारते हैं। तब से यह माना जाता है कि इस झील में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना ‘मानसरोवर झील’में डुबकी लगाने से मिलता है। यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है। सैलानियों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र वहाँ की ‘नैनी झील’ है।
(नैनीताल, उत्तराखंड)
Glossary/शब्दावली: | Grammar/व्याकरण: |
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Passive voice: perfective participle of the transitive main verb + auxiliary जाना (logical object is promoted to the subject position for agreement):
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