प्रेमचंद की कफ़न नामक कहानी में कई दिलचस्प प्रसंग व्यक्त किये गए हैं और आपके अनुसार उनका स्पष्टीकरण कैसे किया जा सकता है?
१. बुधिया प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी और मोहल्ले की औरतें उसके पास नहीं आई।
२. कफ़न लाने का काम रिश्तेदार या खून का रिश्ता रखने वाले करते हैं। प्रेमचंद घीसू और माधव पिता–पुत्र दोनों को मृत बुधिया के लिये कफन लाने भेजते है।
३. माधव बोला– ‘हां, लकडी तो बहुत हैं, अब कफन चाहिये।‘
‘तो चलो, कोई हल्का सा कफन लें।”
‘हां और क्या? लाश उठते–उठते रात हो जाएगी। रात को कफ़न कौन देखता है।‘
अगर किसी की मृत्यु दिन छिपने पर हो जाती है, लाश को रात भर रखा जाता है और दूसरे दिन मृतक का दाह संस्कार किया जाता है। धर्म की दृष्टि से यह पाप है और अनिष्ट की श्रेणी में आता है।