1. सजगता का अभ्यास करें
सजगता वह स्थिति है जिसमें हम अपने मस्तिष्क में और हमारे आस-पास हो रही चीजों के बारे में जागरुक रहते हैं लेकिन इसको ले कर कोई प्रतिक्रिया नहीं होती । इसका अभ्यास करने के लिए अपने पूरे ध्यान को ‘इस समय’ या ‘वर्तमान’ में रहें । अपने सभी विचारों को ले कर जागरुक रहें और कोई फैसला न करें। अगर हम अपने दैनिक जीवन में इस सजगता का अभ्यास करें तो उथल-पुथल लानेवाले विचारों से बचने में, अपने मानसिक स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखने में और चिंता व तनाव संबंधी लक्षणों को कम करने में काफी अधिक सक्षम हो पाएंगे ।
2. प्रणायाम या सांस संबंधी आसन सीखें
जब कभी तनाव हो लंबी और गहरी सांस लें! “सजग श्वसन प्रक्रिया” को आसानी से सीखा जा सकता है। सामान्य गति से सांस लें और अपनी हर आती-जाती सांस के साथ शरीर में होने वाली संवेदना को महसूस करें। प्रणायाम या सजग श्वसन प्रक्रिया पर शोध कर हम अपनी भावनाओं और तनाव पर काबू रख सकते हैं। सजग श्वसन का एक अहम तरीका विकेंद्रीकरण भी है। इसमें हम अपने मस्तिष्क में चल रहे नकारात्मक विचारों को महसूस करना सीखते हैं और उस दौरान हम उनको ले कर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुँचते हैं। इस तरह हम नकारात्मक भावों से खुद अपने आप को दूर करने में कामयाब हो पाते हैं।
3. ध्यान लगाएं
ध्यान बहुत आसान प्रक्रिया है और इसके लिए सिर्फ कुछ समय ही चाहिए! इससे शांति मिलती है, नकारात्मक भावनाएं कम होती हैं, तनाव से छुटकारा पाने की क्षमता बढ़ती है और सहनशीलता भी बढ़ती है। जब आप ध्यान करते हैं आप अपने शरीर, सांस और विचारों को ले कर सजग रहते हैं। अगर कोई नकारात्मक भाव आए तो किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बिना आगे बढ़ सकते हैं और उनका प्रभाव स्वयं पर नहीं पड़ने देते।
4. समाचार के लिए सिर्फ भरोसेमंद स्रोतों का ही उपयोग करें
मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे विश्वस्त सूत्रों की ओर से जारी सलाह पर ही भरोसा करना चाहिए। मानसिक तनाव या बेचैनी के बारे में अधिक खबरें देखने से भय और चिंता की भावनाएं बढ़ सकती हैं। खास तौर पर नवीनतम वैज्ञानिक शोध, दवाएँ इत्यादि के बारे में जानकारी आपके दिन-प्रतिदिन जीवन के लिए प्रासंगिक नहीं होती हैं। समाचार पढ़ने और देखने या सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करने की बजाय पढ़ने, संगीत सुनने, दूसरों से बात करने या किसी सकारात्मक गतिविधि में समय लगाएं।
5. सोशल मीडिया का सजग उपयोग
हम में से बहुत से लोग सोशल मीडिया पर सूचना साझा करने को ले कर चिंतित रहते हैं, लेकिन झूठी और भ्रामक सूचना हमारे जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करते समय दो बार सोचें। खुद से पूछें- क्या वह सामग्री सच्ची, लोगों की मदद करने वाली, प्रेरणा देने वाली, आवश्यक या सहृदयतापूर्ण है?
6. दूसरों के लिए दयालु और उदार रहें
मौजूदा परिस्थिति में अक्सर ऐसा होगा कि लोग अपने और अपने परिवार के लिए ही सोचते हैं । लेकिन दूसरे लोगों का भी ध्यान रखें उनकी खाद्य और आवश्यक सामग्री की ज़रूरतों के बारे में भी सोचें । ऐसा भाव हमारे अंदर सामुदायिक भाव को , उदारता और दया जागृत कर सकता है और इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हम एक ही समाज के समान सदस्य हैं ।
7. सभी के लिए सहानुभूति रखें
हमें यह समझना होगा कि मानसिक अस्वस्थ्य या बीमारी सामाजिक वर्ग, नस्ल, समुदाय या राष्ट्रीयता पर नहीं निर्भर करती है । ऐसे मामलों में हमें दूसरे व्यक्ति या समुदाय की जगह खुद को रख कर देखना चाहिए और उन लोगों या समुदायों के प्रति उदारता दिखानी चाहिए। इनके बारे में किसी तरह के भेद-भाव या कट्टरता पैदा करने वाली सूचना को प्रसारित करने से रोकना चाहिए।
(modified from https://www.hsph.harvard.edu/viswanathlab/mental-well-being-hindi/)