अच्छी-बुरी का सवाल नहीं, सभी आदतें नुकसानदेह

(retrieved from: http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/jeevenjizyasa/article1-story-50-51-223898.html)

हम हमेशा सुनते आए हैं कि अच्छी आदतों को ज्यादा से ज्यादा अपनाना चाहिए और बुरी आदतों से बचना चाहिए। लेकिन हम यह नहीं जानते कि कई बार ये अच्छी आदतें भी सेहत के लिए बुरी साबित हो सकती हैं। आइए जानें जिन्हें हम अच्छी आदतें मानते हैं, वे किस तरह नुकसान पहुंचाती हैं।

1. बहुत अधिक पानी पीना

दरअसल शरीर से जितना पानी बाहर निकलता है, उससे कहीं अधिक ज्यादा पानी जब उसमें पहुंच जाता है तो इस अवस्था को ओवर हाइड्रेशन कहते हैं। यह स्थिति तब आती है, जब हृदय, लीवर, किडनियां या पिट्यूटरी ग्रंथि उचित ढंग से काम नहीं कर रहे होते। ऐसे मामलों में रोगी को तरल पदार्थ लेने से रोक देना चाहिए।

2. बहुत अधिक कसरत करना

ज्यादा कसरत करने से चोट लगने और बीमार होने का खतरा रहता है। कसरत से शरीर पर जोर पड़ता है। इससे शरीर पर मेटाबोलिज्म के विरुद्ध प्रभाव पड़ता है। मांसपेशियों में जमा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा एनर्जी में खर्च होते हैं। जब आपको कसरत करना कठिन लगने लगे तो समझ जाइये कि आप जरूरत से ज्यादा कसरत कर रहे हैं। रिकवर करने के लिए शरीर को आराम की जरूरत होती है। ऐसे में लगातार कसरत करते रहना काफी महंगा पड़ सकता है।

3. चेहरे और बालों की अधिक सफाई करना

चेहरे और बालों को बारबार धोना भी नुकसानदायक होता है। रोजाना बालों में शैम्पू करने से सिर की त्वचा और बालों में मौजूद नेचुरल और फायदेमंद ऑयल्स धुल जाते हैं। एक दिन छोड़कर सादे पानी से बालों का शैम्पू करना बेहतर रहता है। इसी तरह बारबार चेहरा धोने से भी बुरा असर पड़ता है। दिन में केवल दो बार ही किसी उचित फेसवॉश से चेहरा धोना ठीक रहता है। ज्यादा बार चेहरा धोने से आपकी त्वचा रूखी हो जाती है। चेहरे या त्वचा को बहुत ज्यादा रगड़ने से धब्बे पड़ने, पपड़ी निकलने, यहां तक कि सूक्ष्म रक्तवाहिनियों में टूटफूट होने का भी डर रहता है।

4. बहुत अधिक ब्रश करना

दांतों को बहुत अधिक रगड़ने से दांत चमकने के बजाए और खराब हो जाएंगे और उनमें सड़न हो जाएगी। रोजाना दो बार दो मिनट से ज्यादा ब्रश करने से दांतों की इनामेल रक्षा परत हट जाती है, चाहे ब्रश हार्ड हो सा सॉफ्ट। इनामेल की परत सिर्फ 0 से 2 मिमी तक मोटी होती है। इसका निर्माण भी दोबारा नहीं हो सकता, क्योंकि इसमें सेल्स नहीं होते। डेंटिन नामक दांत की अंदरूनी परत खुल जाती है और दांत पीले पड़ जाते हैं। इससे दांतों में गर्म, ठंडा, मीठा, खट्टा सभी लगने लगता है। मसूढ़ों पर रगड़रगड़ कर ब्रश करने से दांत की जड़ के समीप कैविटी बन जाती है, जो नर्व डैमेज कर सकती है। कोई ठोस चीज फोड़ने पर दांत दो टुकड़ों में भी फट सकता है।

5. हेल्थ फूड का बहुत अधिक इस्तेमाल करना

हेल्थ फूड के प्रति अत्यधिक लालसा को आथ्रोरेक्सिया कहते हैं। ऐसी अवस्था में लोग अधिक फैट, प्रेजरवेटिव्स और पशु उत्पाद वाला आहार लेते हैं, जिससे वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।

आथ्रोरेक्सिया नामक डिसआर्डर भी एनोरेक्सिया और बुलिमिया डिसआर्डर के जैसा ही है। बुलिमिक भक्षण रोग है और ऐनोरेक्सिया में भूख कम लगती है, जबकि आथ्रोरेक्सिया का ताल्लुक भोजन की गुणवत्ता से है। क्या खाना है, कितना खाना है, कब खाना है, किसके बाद क्या खाना है, यह सोचने में भी काफी वक्त लग जाता है। कई बार एक ही तरह के विटामिन आदि का अधिक सेवन भी नुकसानदायक साबित होता है।