वारली जाति में प्रचलित कहानियों के अनुसार
पहले यह धरती पूरी तरह से पानी से ढकी हुई थी। उस समय इस पर कोई भी सूखी जगह नहीं थी। वारली लोग इस कहानी में बताते हैं…
“धरतेरेवर सगलेकड पांजंगल होता।
जरकपान सूखी जग नही होती कोथ पन”
(वारली भाषा में)
महादेव व गंगागौरी ने निश्चय किया कि इस पानी वाली धरती पर कुछ सूखी जगह बनायी जाए। इसके लिए उनको मिट्टी की आवश्यकता महसूस हुई, लेकिन उनको मिट्टी कहीं भी नहीं मिली। तब महादेव ने सभी देवताओं की एक सभा बुलाई। उन्होंने देवताओं से मिट्टी खोज कर लाने के लिए कहा गया। सभी देवता मिट्टी की खोज में संसार में इधर-उधर भटके लेकिन उन्हें मिट्टी कहीं भी नहीं मिली। अंत में वे सब ख़ाली हाथ लौट आए और उन्होंने महादेव को बताया कि उन्हें मिट्टी कहीं भी नहीं मिली।
तब महादेव ने देवताओं से आसमान में घुंघेरी राजा के पास जाने के लिए कहा और कहा, ‘उससे पूछना कि क्या उसके पास कुछ मिट्टी मिल जाएगी’? तब ब्रह्मदेव और नारायणदेव, घुंघेरीराजा (कुम्हार उड़न राजा) के पास टोकरियाँ ले कर गए और मिट्टी मांगी।
घुंघेरीराजा ने पूछा कि उनको मिट्टी की आवश्यकता क्यों है? तब ब्रह्मदेव और नारायणदेव ने कहा की वे धरती पर प्रकृती, जानवर और मनुष्यों के रहने के लिए स्थान बनाना चाहते हैं।
तब घुंघेरीराजा ने कहा कि वे केवल थोड़ी सी मिट्टी दे सकते हैं । देवताओं ने कहा ठीक है। देवता वे मिट्टी लेकर महादेव व गंगागौरी के पास पहुँचे। तब गंगागौरी ने उस पर मूत्र विसर्जन किया और मिट्टी की गोलियाँ बनाकर धरती बनानी शुरू कर दी। जब महादेव व गंगागौरी ने धरती बनायी तब महसूस किया कि यह सूनी लग रही है।
उन्होंने निश्चय किया कि चींटियाँ, गिलहरियाँ, तोते और पथेरीराजा से बीज माँग कर इस पर पेड़ पौधे लगाए जाएँ। महादेव ने खजूर, ताड़ी, बांस, लौकी व कई तरह की दवाइयाँ और फलों के बीज भी एकत्र किए। उन्होंने इन सब बीजों से प्रकृती का निर्माण किया। महादेव व गंगागौरी ने सोचा कि क्या धरती पर केवल देवता ही होने चाहिए, इन्सान नहीं?
तब महादेव व गंगागौरी ने निश्चय किया; नहीं, हमको धरती पर रहने के लिए इन्सान भी बनाने होंगे।
महादेव व गंगागौरी ने धरती से थोड़ी सी मिट्टी ली ,और महादेव ने उससे एक आदमी बनाया और गंगागौरी ने एक औरत की मूर्ति बनाई और दोनों को धूप में सूखने के लिए रख दिया।
सूखने के बाद महादेव ने उन दोनों में जान फूंक कर उनको ज़िंदा किया। तब वे मूर्तियाँ चलने व बात करने लगीं।
महादेव व गंगागौरी ने उनको “कलेदोकचा मिरिग मांजया” नाम दिए, इसका मतलब होता है काले सिर वाले मनुष्य। यह सब देखकर
देवता बहुत जोश में आ गये और उन्होंने कहा कि हमने एक महान कार्य किया है।
तब महादेव व गंगागौरी ने इन नये बने मनुष्यों को धरती पर जुताई करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी। इस तरह मनुष्यों ने धरती पर जुताई करनी शुरू कर दी और धरती निर्माण की प्रक्रिया शुरु हो गयी। यही कारण है वारली जाति के लोग आज भी खेती पर निर्भर हैं।
(डहाणू, महाराष्ट्र)
CREATION OF THE EARTH
Based on Madhukar Vadu’s second book
Hindi Adaptation Sandhya Bhagat