बुर्ज ख़लीफ़ा

                  

 

आज उत्तराखंड के ‘जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान’ में मजदूरों के लिए फील्ड डे है। “चलो चलें!!” सबसे कम उम्र के दीमक मजदूर चिंटू ने कहा। वह और भी ज़्यादा मिट्टी खाना चाहता है और मैदान में खेलना भी चाहता है। जैसे ही उसने मैदान की ओर जाना शुरू किया, उसके दोस्त टिंकू, टीटू, और पिंकू भी मिट्टी खाने के लिए उसके साथ शामिल हो जाते हैं ।

उस मिट्टी में सड़े हुए पत्ते व पेड़ों की पुरानी मृत छाल मिली हुई है। चिंटू और उसके दीमक दोस्त इस तरह की सड़ी हुई मिट्टी को खा कर खनिजों को धरती को वापस लौटाने में मदद करते हैं। इस तरह जंगल में गिरे हुए पत्तों और पेड़ों की मृत छालों का धरती में विघटन हो जाता है, यानी कि वे मिट्टी में घुल-मिल कर उसे और उपजाऊ बनाते हैं।

जैसे जैसे चिंटू के और भी अधिक दोस्त जुड़ते जाते हैं वैसे वैसे और भी अधिक मिट्टी खाई जाती है और इस तरह और भी अधिक पोषक तत्व मिट्टी में छोड़े जाते हैं।”अरे वाह,” चिंटू कहता है, “मुझे पता नहीं था कि मेरे इतने सारे दोस्त और परिवार है। हम सब हजारों-लाखों से भी अधिक हैं। चलो हम सब मिलकर अलग अलग दल बनाते हैं और फिर देखते हैं कि कौन-सा दल सबसे ऊँची बांबी बनाएगा”।

पूरी दीमक कॉलोनी अलग-अलग दलों में विभाजित हो जाती है। और ‘सबसे अधिक गंदगी कौन खाएगा; सबसे ऊँची  बांबी कौन बनाएगा’ प्रतियोगिता में अपने अपने दल के साथ जुट जाते हैं। जैसे-जैसे वे अधिक से अधिक सड़ी मिट्टी खाते जाते हैं, वैसे-वैसे वे मिट्टी में हवा भर कर उसे हल्का करते जाते है और इस तरह भूमि को उपजाऊ बनाते जाते हैं।

दिनभर के काम के बाद, चिंटू और उसके दोस्त प्रतियोगिता के विजेता को ढूँढने के लिए रेंगते रेंगते मिट्टी से बाहर निकल आए। विजेता का चयन सबसे बड़ी और ऊँची मिट्टी की बांबी बनाने वाले दल के आधार पर होना था। सभी बांबियाँ मुंबई और न्यूयॉर्क शहर की ऊँची ऊँची इमारतों की तरह लग रही थीं। उन सब ऊँची ऊँची बांबियों के बीच केवल चिंटू और उसका समूह बुर्ज खलीफ़ा जैसी ऊँची और विशाल बांबी बनाकर प्रतियोगिता जीत गए। बुर्ज खलीफ़ा दुबई में दुनिया का सबसे ऊँचा वास्तुशिल्प चमत्कार है।

अपनी ट्रॉफी हाथ में लिए हुए चिंटू ख़ुशी से चिल्लाया – “हम जीत गए, हम जीत गए!!! हमने सबसे ऊँचा टीला बनाया और साथ साथ हमने सबसे ज़्यादा धरती को खनिजों से भरपूर बनाया।” बाकी समूहों के दीमक भी उसके समर्थन में खुशी से कूदने लगे। और इस तरह दीमक चिंटू के दल की जीत और उत्साहवर्धन का जश्न रात भर चला।

(लेखन: रचना नाथ, अनुवाद: ममता त्रिपाठी, जिम कोर्बट पार्क, उतराखंड) 

       PDF           ♦           Contents