birbal kii khichRii – script

https://www.youtube.com/watch?v=rROCwAdMWzU

इस साल ठण्ड बहुत ज़्यादा है/ 

जी हाँ जहाँपनाह, आजकल लोग घर से बाहर निकलने से  झिझकते हैं/ 

हाँ पर  लोगों को काम करना तो पड़ेगा ही चाहे ठण्ड हो या न हो/

वह तो है, पर जब ठण्ड बहुत बढ जाती है तो ज़्यादातर लोग घर पर ही रहना पसंद करते हैं /

यह पानी तो जैसे बर्फ बन गया हो / आप ठीक कह रहे हैं, लाला जी, इतनी ठण्ड में कौन बाहर निकलेगा?

माफी चाहता हूँ, हुज़ूर, मुझे ऐसे नहीं लगता/

बीरबल, आप को हर वक्त हमारे खिलाफ जाना ज़रूर नहीं है /

माफ़ी चाहता हूँ,  जहाँपनाह, आपकी बात नहीं काटना चाहता; मैं तो सिर्फ आपको बताना चाहता था कि ऐसे भी लोग हैं जिन्हें मुश्किलों में भी कड़ी मेहनत  करनी पड़ती है/ 

आप कहना चाहते हैं की ऐसे भी लोग हैं जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं?

जी हाँ, हुज़ूर, मैं यही कहना चाह रहा था/

मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं, कोई भी इंसान पैसा कमाने के लिए एक हद से पार नहीं जा सकता है/  

आप सही फरमा रहे हैं, हुज़ूर, मैं भी ऐसा ही समझता हूँ/

जहाँपनाह, आपके राज्य में ऐसे भी लोग हैं  जो हालात की वजह से थोड़ा सा पैसा कमाने के लिए मुश्किल से मुश्किल काम करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं /

क्यों न तुम इस बात को साबित कर दिखाओ/ क्या तुम ऐसे आदमी को ला सकते हो जो सारी रात इस ठन्डे पानी में खड़ा रह सके?  हम उस आदमी को इनाम में दस सोने के अशर्फिया देंगे/ 

जी हाँ, हुज़ूर, इतनी कम रकम के लिए भी कोई न कोई  इस काम को करने के लिए तैयार हो ही जाएगा/

मैं इस बात को यकीन करना चाहूँ भी तो  नहीं कर सकता/ पहली बात, कोई भी इंसान यह पता चलने के बाद कि पानी कितना ठंडा है इसको स्वीकार नहीं करेगा / दूसरी बात, अगर कोई मूर्ख स्वीकार भी ले तो सुबह तक बच नहीं पाएगा /

जहाँपनाह, मुझे पूरा यकीन है कि मैं ऐसे आदमी को आज ही ढूंढ़ सकता हूँ/ 

ठीक है आप इस बात को साबित कीजिये और ऐसा आदमी ढूंढिए/ इस बात का फैसला आज ही हो जाए/ मुझे यकीन है कि इस बार आप गलत साबित हो जाएंगे/

हुज़ूर-ए-अल्लाह,  मैं आज ही ऐसे आदमी को ढूंढ़कर शाम को दरबार में पेश कर दूँगा/ (00-2.42)

जहाँपनाह, आपकी चुनौती स्वीकार करनेवाला मुझे मिल गया है — इजाज़त हो, तो उसे बुलाया जाए/

उसे बुलाएं, बीरबल, हम ज़रूर मिलना चाहेंगे उस से/

गंगाराम, हाज़िर हो! 

क्या बीरबल ने समझा दिया है कि तुम्हें क्या करना है?   

जी हाँ, हुज़ूर, मुझे सारी रात आपके बगीचे वाले तालाब में खड़े रहना होगा/ 

क्या तुम्हें डर नही लगता कि तुम तालाब में खड़े रहकर अपनी जान गवा सकते हो या तुम्हें वहाँ की ठण्ड का अंदाज़ा नहीं /

 जहाँपनाह, मैं जानता हूँ कि तालाब का पानी कितना ठंडा होगा/

 हमें लगता है कि दस अशर्फिया के बदले यह करना बड़ी मूर्खता है/ बीरबल, इस पर नज़र रखने के लिए दो सैनिक तैनात रहेंगे/ यह आदमी आज रात हमारा मेहमान है, इसकी अच्छी तरह ख़ातिर की जाए/ क्या पता, आज की रात इसकी आखिरी रात हो तो हम आप दोनों से सुबह मिलेंगे/

बीरबल क्या हाल है, आपके आदमी के?

वह बाहर ही रुका है क्यों नहीं, उसी से पूछ लें/

गंगाराम हाज़िर हो! 

आदाब, जहाँपनाह! तो कहो! कैसे रही रात?

हुज़ूर, आसानी से तो नहीं, पर ऊपरवाले की दया से किसी तरह कट गयी/

तुम कहना चाहते हो कि तुम ने सारी रात तालाब में गुज़ारी? मुझे यकीं नहीं आता/

यह सच है, जहाँपनाह, ये सिपाही मेरे गवाह हैं/

सच बताओ, क्या इस आदमी ने सारी रात तालाब में गुज़ारी?

जी हाँ, जहाँपनाह! सुबह होने पर ही यह पानी से निकला/ हम दोनों ने कड़ी नज़र रखी/

हमें  इस बात का यकीन नहीं हो रहा है/ कैसे किया यह तुमने? सारी रात क्या किया वक्त बिताने के लिए?

हुज़ूर, शुरू में तो बहुत मुश्किल था – ठण्ड के मारे मैं अकड़ गया था, फिर  तालाब के किनारे पर एक दिये को देखने लगा और सारी रात उसे देख केऔर भगवान् का नाम लेकर  बिता दी /

अहा! अच्छा, तो यह राज़ है तुम्हें उस दिए से गरमी मिल रही होगी! इसी लिए तुम इतनी देर उस ठन्डे पानी में रह सके/  हम जानते थे, वरना ऐसा कर पाना तुम्हारे लिए नामुमकिन होता /

पर जहाँपनाह ..   

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, हम से धोखा करने की?!  फिर भी हम तुम्हें सज़ा नहीं देंगे क्योंकि समझ सकते हैं यह कितना मुश्किल था /  पर इनाम के बारे में तुम भूल ही जाओ!   

पर जहाँपनाह .. 

बस, बहुत हो चुका! हम और कुछ सुनना नहीं चाहते! सिपाहियों, इस आदमी को दरबार से बाहर ले जाओ! बीरबल, इस बार आपको अपनी हार माननी ही पड़ेगी! आप गलत साबित हुए/ 

आपके खिलाफ जाने के लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ / 

कोई बात नहीं बीरबल! सभी, कभी न कभी, गलत ही करते हैं/  आगे बढ़ते हैं, हमारे ख्याल से आज हम ईरान के शाह के लिए तोहफे का फैसला करने वाले थे/ क्या आप के पास कोई सुझाव है? 

माफ़ी चाहता हूँ, हुज़ूर! पर कुछ घरेलु परेशानी की वजह से मैं अभी घर जाने की इजाज़त चाहता हूँ/ मैं दोपहर तक वापस आ जाऊँगा/ 

हम्म्म, ज़रूर, बीरबल/ आप जा सकते हैं/ पर जल्द ही लौट आएगा/ (6.42)

बीरबल कहाँ है? क्या वह लौटे नहीं?

नहीं हुज़ूर, अभी तक नहीं लौटे! क्या उन्हें बुलाने के लिए किसी को भेजा जाए?

हाँ, एक सिपाही को भेजिए और उन्हें जल्द दरबार पहुँचने को कहिये! तब तक आप बाकी कार्यवाही  कर सकते हैं/ 

जहाँपनाह, इस साल देश भर से आए लगान की रकम कुछ इस तरह थी। .. 

आदाब जहाँपनाह, बीरबल ने कहा है की वह खाना खा रहे हैं – और खाना खाकर वह दरबार में हाज़िर हो जाएंगे/

आज बीरबल को हो क्या गया है? इतनी देर से वह खाना नहीं खाते?!? हमारे ख्याल से अब तक उनका खाना हो गया होगा/  तुम एक और घोड़ा लेकर उनके घर जाओ और उन्हें कहो कि  जितनी जल्दी हो सके दरबार पहुंचे/ …  (7:30)

तुम अकेले क्यों आए? बीरबल कहाँ हैं? क्या हम ने तुमसे कहा नहीं था कि उन्हें साथ लेकर आना?

हुज़ूर, मैं उनके घर गया था, आपका सन्देश लेकर, पर बीरबल भोजन तैयार कर रहे थे और उनहोंने आपको कहने के लिए कहा है कि वह जैसे ही ही जाएगा वे दरबार में हाज़िर हो जाएंगे/

हमारे ख्याल से हमें खुद जाकर देखना पड़ेगा कि बीरबल क्या कर रहे हैं/ हम इसी वक्त उनके घर जाएंगे/ (8:03)

आदाब जहाँपनाह! 

जहाँपनाह, अगर मेरी वजह से आपको किसी भी तरह की तकलीफ हुई हो, तो माफ़ी चाहता हूँ/

क्या हो रहा है बीरबल? सिपाही ने कहा की आप खाना खा रहे हैं… और यह सब माजरा क्या है?

हुज़ूर वह जो ऊपर हांड़ी टंगी हुई है उस में मेरा भोजन है/ मैं खिचड़ी बना रहा हूँ/ अफ़सोस, अब तक बनी नहीं है/

बीरबल, आप ठीक तो हैं? आग पर इतनी ऊंचाई पर हांड़ी टांगने से खिचड़ी कैसे पकेगी? 

हुज़ूर, मुझे नहीं लगता मैं कुछ गलत कर रहा हूँ/ क्यों नहीं पकेगी? हांड़ी सीधे आग के ऊपर ही टंगी है?

बीरबल, आपका दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया है? खाने को जब तक गर्मी न मिले, वह पकेगा कैसे? और अगर आप हांड़ी को आग से इतना ऊपर रखेंगे, तो गर्मी कैसे पहुंचेगी?

जहाँपनाह, मैं ने सोचा कि  अगर  गंगाराम को दूर लगे एक दिए से गर्मी मिल सकती है तो आग से थोड़ा ऊपर टांगने पर खिचड़ी क्यों नहीं पक सकती?

अच्छा, अच्छा, हम आपकी बात समझ गए/ ठीक है, आप जीते, अपने आदमी के साथ आप जल्दी दरबार में हाज़िर हो, उसे उसका इनाम मिल जाएगा/

शुक्रिया, हुज़ूर!  

और यह आपके लिए, बीरबल! एक शहंशाह ो उसकी गलती का एहसास कराने में बड़ी हिम्मत चाहिए और यह दिखने के लिए आप ने जो रास्ता चुना, वह भी बड़ा दिलचस्प था! शाबाश! 

राजा बीरबल ज़िंदाबाद!